सोचा क्या कभी तुमने यह, आए तुम कहाँ से हो,
जाओगे कहाँ यह सोचा ? नहीं रे नहीं...
कैसी है यह दुनिया देखो, कैसे कैसे लोग यहाँ,
तुमने इनको है पहचाना ? नहीं रे नहीं...
इक तू इक तेरा मौला, वो बोले मुझे बता,
तूने उस से बातें की ? नहीं रे नहीं...
हो, तूने क्या बनाई, तूने क्या सजाई,
सब किया है उसने, तूने बातें बनाई....
किसी का भी दिल है, किसी की भी है मर्ज़ी,
तुमने झाँका है क्या इसमें ? नहीं रे नहीं...
ज़िंदगी हया है, वक़्त परेशान हैं,
इसकी हक़ीक़त को जाना ? नहीं रे नहीं...
हो, जो तेरा खुदा है, वो मेरा खुदा है,
तेरा कहा ना मानू तो, क्यों मुझे सज़ा है ?
हो, कद्दी आ तू दिल दे अंदर, कद्दी आ तू दिल दे अंदर,
मैं तेरा मस्त कलंदर , मैं तेरा मस्त कलंदर...
सोचा क्या कभी तुमने यह, आए तुम कहाँ से हो,
जाओगे कहाँ यह सोचा ? नहीं रे नहीं...
इक तू इक तेरा मौला, वो बोले मुझे बता,
तूने उस से बातें की ? नहीं रे नहीं...
नहीं रे नहीं, नहीं रे नहीं, नहीं रे नहीं.....
Ali Zafar :) A masterpiece !
ReplyDeleteachha.. doosre waale gaane mei toh uchhal raha tha wo bohot :P
ReplyDelete:) Haan ! Phir woh gaana bhi waisa tha. Starting ke 2 min toh ni uchalta magar
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